खता क्या थी मेरी ?
गतांक से आगे.…
जिसका डर था वहीं बात बनी ।छोटी मां और कालू मुझे ऐसे ढूंढ रहे थे जैसे खोजी कुत्ते सुराग़ ढूंढते हैं।कालू ने मुझे पहचान लिया था।वो भुखे शेर की तरह मुझे तलाश रहा था वो शेर जिसके आगे से शिकार छूटकर चला जाए।उधर मां तो ऐसे फुंकार रही थी जैसे अभी मैं उन्हे मिल जाऊ तो अभी मेरा काम तमाम कर दे उनकी बात को जो टाला जा मैंने। मैं सांझ तक सैफ का इंतजार करती रही पर वो शायद शादी की तैयारी करवा रहे थे इस लिए नहीं आ पाये।दोनों वक्त मिल रहे थे ददू मैं डरी दुबकी सी सैफ का इंतजार कर रही थी कि इतने में दरवाजे पर दस्तक हुई मैं भाग कर दरवाजे के पास गयी। मैंने दरवाज़े के सुराख में से देखा कालू और छोटी मां दोनों बाहर खड़े थे दो चार बदमाश जैसे दिखने वाले आदमी भी साथ थे उनके हाथों में चाकू वगेरह थे।मेरी घिघी बंध गयी।मेरे मुंह से शब्द भी नहीं निकल रहें थे। बाहर से मां ने आवाज लगाई,"करमजली, कलमुंही!घर से भाग कर सारे खानदान के मुंह पर कालिख पोत दी।अब तेरे बाप को क्या मुंह दिखाऊंगी।तू चल आज घर तुझे ऐसी सजा दूंगी जो तूने सोची भी ना होगी। बाहर से छोटी मां चिल्लाए जा रही थी इधर मैं अंदर तक कांप गयी। मुझे पता था मां किस हद तक जा सकती है।मेरे हाथ पांव कांपने लगे। मैं भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि भगवान किसी तरह सैफ को भेज दो पर ददू भगवान ने मेरी एक ना सुनी। कालू और उनके साथियों ने मिलकर दरवाजा तोड़ दिया। छोटी मां और कालू दोनों ने मुझे बालों से पकड़ कर जमीन पर दे मारा।मेरे मुंह से खून निकलने लगा। मैं गिड़गिड़ाई ,"मां मुझे छोड़ दो मैंने आपका क्या बिगाड़ा है मैं आपके लिए तो फ़ालतू ही थी अगर मैं सैफ के साथ अपनी जिंदगी बीता लूंगी तो क्या हो जाएगा।"मां बोले जा रही थी ,"साली चल मैं दिलाऊगी तुझे खसम।तू घर चल। "इतना कह कर मुझे घसीटते हुए गाड़ी में डाल दिया मेरे हाथ खेतों की मेड़ों से रगड़ खा कर कयी जगह से छिल गये थे।मैं सैफ मुझे बचा लो, मुझे बचा लो पुकारती रही पर मुझे वो ना दिखे । कालू और छोटी मां रास्ते में बातें कर रहे थे कालू कह रहा था,"बहन उन भाड़े के आदमियों को बैठा आया हूं उसके वहां आते ही उसका काम तमाम कर देंगे।मेरी चीख निकल गई मैं छोटी मां से हाथ जोड़कर बोलीं,"मां मेरे सैफ को कुछ मत करना ,मैं तुम्हारे पांव पड़ती हूं।"छोटी मां पर जैसे भूत सवार था।वो रास्ते भर मुझे मारती रही घर पहुंच कर घसीटते हुए आंगन में लाकर पटक दिया मुझे और बोली ,"ले कालू इसे खसम करने का बड़ा शौक है ।मैं घर से बाहर जा रही हूं तू बता दें इसे खसम क्या चीज़ है।तू अपनी मोहर लगा देगा तो ये जाएंगी कहां।"यह कहकर छोटी मां हवेली से बाहर चली गयी।कालू मेरी अस्मत से सारी रात खेलता रहा। मुझे छोटी मां और कालू ने नंगा कर के पौह (जनवरी)के महीने में ठंडे फर्श पर गिराये रखा।मेरे हाथ पांव दोनों मजबूत रस्सियों से बांध रखें थे।जब भी छोटी मां का गुस्सा उफनता वो आंगन में आकर मुझे डंडे से पीटने लगती कभी मेरे ऊपर भर ठंड में घड़े का पानी उलट देती थी ।तब भी उनका गुस्सा शांत ना हो रहा था। मुझे खाने पीने को नहीं दिया पांच दिन तक मैं ऐसे ही यातना झेलती रही ।"इतना कहकर कनक दहाड़े मारकर रोने लगी । ठाकुर साहब उसे पुचकार रहे थे,"बस बेटी बस कर ।अब तो सब ठीक होने वाला है।कनक बोली,"ददू! क्या कन्या को पूजने वाले इस देस में एक कन्या की ऐसी दुर्दशा करते हैं।"ठाकुर महेन्द्र प्रताप सिर नीचा करके बोले,"बेटी !मैं शर्मिन्दा हूं तेरे साथ होने वाले इस अत्याचार से।और पूरे समाज की ओर से तुझ से माफी मांगता हूं।"
मंदिर से शंख नाद की आवाज आ रही थी कनक के जाने का समय हो गया था कनक चली गयी। ठाकुर साहब चबूतरे पर बैठे बैठे सोचते रह गये कि बदले की आग कितनी भयावह होती है।एक औरत ही दूसरी की दुश्मन हो जाती है।गनपत की घरवाली तो मां के नाम पर कलंक ही थी। बड़े भारी मन से ठाकुर साहब कल फिर आने का वादा करके चल दिए अपनी हवेली की ओर।(क्रमशः)
Ali Ahmad
03-Mar-2022 01:08 PM
बहुत खूब
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Monika garg
03-Mar-2022 08:32 PM
धन्यवाद
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Marium
01-Mar-2022 04:55 PM
Nice
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Monika garg
01-Mar-2022 06:47 PM
धन्यवाद
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दीपांशी ठाकुर
23-Feb-2022 07:25 PM
Ab age kya hoga. Intrest bad rha h
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Monika garg
23-Feb-2022 10:19 PM
आगे इंतजार कीजिए
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